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बवासीर में घी खा सकते हैं या नहीं? आयुर्वेदाचार्य ने बताया वो कारण जो आम लोग नहीं जानते

क्या बवासीर में घी खाना लाभदायक है? उत्तर जानिए, अन्यथा लाभ से चूक सकते हैं!

बवासीर एक ऐसी पीड़ा है जिसमें हर रोगी चाहता है—बस अब जल्दी से कुछ आराम मिले। लेकिन जब घर में बुज़ुर्ग कहते हैंघी मत खाओ, तकलीफ बढ़ेगी”और कोई कहता हैघी तो अमृत है!” — तो भ्रम होना स्वाभाविक है।
आपके मन में यह सवाल जरूर उठता है —बवासीर में घी खा सकते हैं या नहीं?”
इसी प्रश्न का समाधान ढूंढते हुए हमने देखा कि अधिकतर लोग बिना सही मार्गदर्शन के ऐसे खाद्य पदार्थों को रोक देते हैं जो वास्तव में आयुर्वेद में औषधि तुल्य माने जाते हैं, खासकरदेशी गाय का घी

हाल ही की एक शोध में यह बात सामने आई कि देशी गाय के शुद्ध घी का सेवन बवासीर से जुड़ी सूजन, जलन और मल मार्ग की रुखाई को कम करने में सहायक हो सकता है — बशर्ते व्यक्ति का त्रिदोष संतुलन सही दिशा में बढ़े।

इस लेख में हम भावनात्मक अनुभव, गहराई से आयुर्वेदिक विश्लेषण, मिथकों का भंडाफोड़, प्राकृतिक समाधान, और अंत में एक स्पष्ट दिशा देंगे — ताकि आप न सिर्फ बवासीर से राहत पाएं बल्कि यह भी जान सकें कि कौन सा घी वाकई फायदेमंद है और कौन हानिकारक।

आगे आप जानेंगे

✅ और हाँ, अगर आप गंभीर हैं और अपने शरीर को सही दिशा देना चाहते हैं, तो सबसे पहले 👉 अपना त्रिदोष जानें – क्योंकि जब तक कारण स्पष्ट नहीं होगा, समाधान असंभव है।

👉 यह भी पढ़ें- ज्यादा गैस बनने से कौन सी बीमारी होती है?

🟠एक सच्ची कहानी: जब घी को दोषी समझा गया, पर सच्चाई कुछ और निकली

Check Your Dosha

42 वर्षीय रमेश जी को बवासीर ने इस हद तक परेशान कर दिया था कि उनका रोज़मर्रा का जीवन तकलीफ से भर गया। शुरू में लोगों ने कहा —घी मत खाओ, घी से बवासीर बढ़ता है!”और उन्होंने वैसा ही किया। देशी घी पूरी तरह छोड़ दिया।

लेकिन इसके बाद उनकी हालत और बिगड़ती चली गई — मल मार्ग में जलन, सूखापन और दर्द बढ़ने लगे। अंग्रेज़ी दवाएं भी अस्थायी राहत दे रहीं थीं।

फिर एक दिन उन्होंने आयुर्वेद पर आधारित लेख पढ़ा जिसमें बताया गया था कि देशी गाय का शुद्ध घी वात दोष को शांत करता है, और अगर सही मात्रा और समय से लिया जाए तो बवासीर में राहत देता है।

रमेश जी ने फिर से घी को अपनाया — रात को गर्म दूध में 1 चम्मच देशी घी और भोजन में सीमित मात्रा।
सिर्फ 15 दिनों में उनकी हालत में बड़ा सुधार आया।

आज वो कहते हैं —

“घी को दोषी मानना मेरी सबसे बड़ी भूल थी, असली समाधान तो वहीं था।”

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अपना त्रिदोष जांचें – ताकि आप सही कदम उठा सकें।

👉 यह भी पढ़ें-कब्ज में सुबह का नाश्ता खाने के फायदे – क्या आप भी यह आम गलती कर रहे हैं?

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🟠बवासीर में घी खा सकते हैं या नहीं? एक गहन विश्लेषण

Ayurvedacharya Paramarsh

बवासीर जैसी पीड़ा में घी खाना चाहिए या नहीं — यह सवाल अधिकतर लोगों के मन में आता है। कुछ कहते हैंघी से गर्मी होती है, बवासीर बढ़ता है”, तो कुछ कहते हैंघी तो अमृत है, सब ठीक करता है”
इस भ्रम को दूर करने के लिए हमें घी को आयुर्वेद की दृष्टि से देखना होगा — खासकर तब, जब बात शुद्ध देशी गाय के घी की हो।

शुद्ध देशी गाय के घी के गुण

देशी गाय का घी सामान्य घी से बिल्कुल अलग होता है। विशेषकरबिलोना विधि से बना घी आयुर्वेद में औषधि के रूप में मान्यता प्राप्त है

देशी घी के प्रमुख गुण:

  • वात-पित्त संतुलन करता है
  • अग्नि (पाचन शक्ति) को प्रबल करता है
  • मल को स्निग्ध बनाता है – जिससे दर्द व सूजन कम होती है
  • आंतरिक ऊतक (tissues) को पोषण देता है
  • शुद्ध देसी घीशरीर में सूजन कम करता हैऔरअग्नि को मंद नहीं करता

👉विशेषकर बवासीर जो वातदोष प्रधान होता है, उसमें यह घी अत्यधिक लाभकारी हो सकता है।

📚क्या कहता है चरक संहिता, सुश्रुत और आधुनिक शोध?

🔸चरक संहिता:
घृत कोसर्वोषधीनाम औषधम्” कहा गया है — यानी वह औषधियों में श्रेष्ठ औषधि है।
बवासीर जैसे रोग में जब मल मार्ग रुखा और क्षीण हो जाता है, तब घी का सेवन उस क्षेत्र कोस्निग्ध और शांतकरता है।

🔸सुश्रुत संहिता:
बवासीर (अर्श) के उपचार में घृत को आहार एवं औषध दोनों रूपों में प्रयोग करने की बात कही गई है — विशेषकर तक्रघृत, यानी छाछ से बना देशी घी भी अर्श में उपयोगी बताया गया है।

🔸आधुनिक शोध:
हाल की एक क्लीनिकल स्टडी में पाया गया कि देशी गाय का घी आंतों की सूजन को कम करता है औरबट्रिक एसिड (Butyric acid)के कारण आंतरिक मरम्मत में सहायक होता है।
इसका सेवन पाचन तंत्र को पुनर्स्थापित करता है, और शौच के समय दर्द को घटाता है।

🧘‍♂️ घी – पाचन, मल मार्ग और मानसिक शांति में भूमिका

देशी घी न केवल शरीर, बल्किमन और मस्तिष्क को भी शांतकरता है। बवासीर जैसी स्थिति में जब व्यक्ति लगातार दर्द, असहजता और तनाव से गुजर रहा होता है — तब देशी घी नाड़ी संस्थान (nervous system) को शांत कर उसे संतुलित करता है।

  • यह मल को नर्म कर, गुदा क्षेत्र पर दाब को कम करता है
  • जलन और रुखेपन में राहत देता है
  • आंतों में चिकनाई बनाए रखता है
  • अनिद्रा, तनाव और चिड़चिड़ेपन में लाभकारी होता है

👉लेकिन यह सब तभी संभव है, जब आपशुद्ध देशी गाय का घी लें — न कि जर्सी गाय, भैंस या मिलावटी पैक्ड घी।

💡याद रखें:
हर व्यक्ति पर प्रभाव अलग हो सकता है — इसलिए सबसे पहले जानिए कि आपका दोष क्या है:
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🟠आदतों का संबंध: आपकी दिनचर्या में छिपे वो कारण जो बवासीर बढ़ा सकते हैं

बवासीर के कारण और इलाज

Check Your Dosha

बवासीर कोई एक दिन की समस्या नहीं होती। यह आपकी दिनचर्या, भोजन और मानसिक स्थिति से उपजीपुरानी गलत आदतों का परिणामहोती है।
अगर आप केवल दवा या घरेलू नुस्खे से ठीक होने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन जीवनशैली वैसी की वैसी है — तो सुधार संभव नहीं।

🔴1. रुखा भोजन और घी-विहीन आहार

आजकल अधिकतर लोग ‘फैट-फ्री’ या ‘कम ऑइल’ डाइट को सही मानते हैं, लेकिन रूखा-सूखा भोजन वात दोष को बढ़ाता है, जिससे बवासीर पनपता है।

  • बिना घी की रोटी
  • सूखे चावल
  • मसालेदार परंतु घी रहित सब्जियाँ

ये सब आपके मल मार्ग को सुखाकर कब्ज और बवासीर को न्योता देते हैं।

👉समाधान: हर भोजन में थोड़ा शुद्ध देशी घी अवश्य हो, जो मल को चिकनाई देकर बाहर निकालने में मदद करता है।

🔴2. देर रात खाना और असमय शौच

  • रात को 10-11 बजे खाना
  • सुबह देर से उठना और मल दबाना
  • दिन में बार-बार चाय/कॉफी लेना

ये सभी आदतें आपकी पाचन अग्नि को कमजोर करती हैं और मल को कठिन बनाती हैं।
जब शौच समय पर न हो, तो मल गुदा मार्ग पर दबाव बनाता है और वहां की नाज़ुक नसें फूलने लगती हैं — यही बवासीर का मूल कारण है।

🔴3. अधिक मिर्च-मसाले और गरम-तरल का अत्यधिक सेवन

कुछ लोग सोचते हैं कि गरम चीजें जैसे सूप, कॉफी या अदरक-नींबू पीने से पाचन ठीक रहेगा, लेकिन बिना शरीर की प्रकृति समझे अधिक तीखे और गरम पदार्थ लेने से आग और सूजन बढ़ जाती है, जिससे बवासीर और तीव्र हो सकता है।

👉उचित उपाय: वात-पित्त-कफ की जांच करें और उसके अनुसार अपना भोजन तय करें
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🔴4. बाजार का घी, मिलावटी तेल और भूख मिटाने वाले स्नैक्स

  • रिफाइंड ऑयल
  • मार्केट का डिब्बाबंद घी
  • इंस्टेंट स्नैक्स – मठरी, नमकीन, बिस्किट

ये सभी वस्तुएं आपके लीवर और पाचन अग्नि को मंद करती हैं। इससे मल भारी होता है, और गुदा क्षेत्र पर अत्यधिक दाब आता है।
इससे बवासीर की स्थिति और भी जटिल हो जाती है।

🟢 समाधान आधारित दृष्टिकोण:

  • हर दिन एक समय निर्धारित करें शौच के लिए
  • घी के साथ त्रिफला का सेवन करें
  • भोजन से पहले 1 चुटकी सैंधव नमक और जीरा लें
  • भोजन में घी, हरी सब्जियाँ और पर्याप्त जल का संतुलन रखें

💡अगर आप घर पर आयुर्वेदिक जीवनशैली सीखना चाहते हैं, तो गव्यशाला का पंचगव्य प्रशिक्षण आपके लिए उपयोगी रहेगा — जिससे आप खुद भी और परिवार को भी स्वास्थ्यमार्ग पर ला सकते हैं।

🔚निष्कर्ष:
बवासीर केवल रोग नहीं, जीवनशैली का संकेत है कि अब बदलाव जरूरी है।
घी का सही चयन (शुद्ध देशी गाय का घी) और जीवनशैली में सुधार — यही स्थायी समाधान की शुरुआत है।

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👉 यह भी पढ़ें- हमारी आंत में रहने वाले बैक्टीरिया का क्या उपयोग है – 90% लोग इसके फ़ायदे नहीं जानते!

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🟠आयुर्वेद के अनुसार कारण: दोषों का असंतुलन और समाधान की दिशा

बवासीर केवल शारीरिक समस्या नहीं है, यह शरीर में त्रिदोषों (वात, पित्त और कफ) के असंतुलन का प्रत्यक्ष परिणाम है।
आयुर्वेद के अनुसार, जब शरीर का कोई एक या अधिक दोष अधिक सक्रिय हो जाता है, तो वह विभिन्न रोगों को जन्म देता है — और बवासीर उनमें प्रमुख है।

🌀वात दोष और बवासीर:

  • यह रूखापन, सूजन और पीड़ा बढ़ाता है
  • मल को कठोर करता है
  • गुदा क्षेत्र में फटना और दर्द प्रमुख लक्षण होते हैं

👉ऐसे लोगों को देशी घी, त्रिफला और बस्ती (एनिमा) जैसी चिकित्सा लाभ देती है।

🔥पित्त दोषऔर बवासीर:

  • यह जलन, खून आना, और अंदरुनी सूजन लाता है
  • अक्सर अधिक मिर्च-मसाले, शराब, तले भोजन के कारण बढ़ता है

👉ऐसे में ठंडा असर करने वाले पदार्थ जैसे त्रिफला, घी, और शीतल पेय उपयोगी होते हैं।

💧कफ दोषऔर बवासीर:

  • यह भारीपन, गीलापन और मवाद निकलने जैसे लक्षणों से जुड़ा होता है
  • शरीर सुस्त, मल गाढ़ा और मल मार्ग दबा हुआ होता है

👉ऐसे मामलों में योग, काढ़ा और अग्निवर्धक उपचार दिए जाते हैं।

🧭 कौन सा दोष अधिक है, कैसे जानें?

बहुत से लोग बिना यह जाने इलाज शुरू कर देते हैं कि उनकी मूल समस्या क्या है —
जबकि आयुर्वेद कहता है, दोष जानिए, फिर उपचार की दिशा तय कीजिए।”

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💡अब आगे क्या करें?

जब एक बार आपको यह स्पष्ट हो जाए कि आपका प्रमुख दोष कौन सा है —
तो आप सीधे उस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

👉उदाहरण के लिए:
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👉 यह भी पढ़ें- रात में सोते समय पेट की चर्बी कम करने के आसान उपाय

🍃 अनुभव: मोहन शर्मा, सीकर (राजस्थान)

"बवासीर की तकलीफ के चलते मुझे घी छोड़ने की सलाह दी गई थी। कई महीनों तक रूखा-सूखा खाना, कब्ज और जलन के साथ दिन बिताए। लेकिन कोई राहत नहीं मिली।"

फिर एक दिन एक मित्र ने Tridosh Calculator का लिंक भेजा। वहाँ पता चला — मेरा मुख्य दोष वात था, और मुझे देशी गाय का घी छोड़ना नहीं, अपनाना चाहिए था।"

मैंने अपनी दिनचर्या में रात में गर्म दूध के साथ 1 चम्मच देशी घी, त्रिफला चूर्ण और हल्का प्राणायाम Pranasya ने आंतरिक शांति और कब्ज में सुधार लाने में मदद की। अब रक्तस्राव नहीं होता, मल त्याग सहज हो गया और शरीर हल्का महसूस होता है

📘 — जब दोष के अनुसार घी अपनाया जाए, तो वही औषधि बन जाता है।

→ जानिए, आपका दोष क्या कहता है घी के बारे में?

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🟠मिथक बनाम सत्य: बाजार के भ्रम और आयुर्वेद की असली बातें

Ayurvedacharya Paramarsh

आज घी को लेकर बाजार में इतना भ्रम है कि कई लोग लाभ की चीज़ को हानि समझ बैठते हैं।
घी मत खाओ, बवासीर बढ़ेगा!” – ये वाक्य अधिकतर बवासीर पीड़ित लोग सुनते हैं।

लेकिन सच क्या है? आइए, मिथकों का पर्दाफाश करें:

मिथक 1: “घी खाने से बवासीर बढ़ता है”

➡️सत्य:

  • यह बात सभी प्रकार के घी पर लागू नहीं होती
  • जर्सी, भैंस या डिब्बाबंद घी पचने में भारी होते हैं और शरीर में गरमी बढ़ाते हैं
  • जबकि देशी गाय का शुद्ध बिलोना घी वात-पित्त को संतुलन में लाता है

मिथक 2: “सभी घी एक जैसे होते हैं”

➡️सत्य:

  • जर्सी गाय का दूध 90% विदेशी नस्ल का है, जिसका घीपचने में भारी और गरम होता है
  • भैंस का घी बहुत देर में पचता है और कब्ज बढ़ाता है
  • डिब्बाबंद घी में रासायनिक तत्व, परिरक्षक (preservatives) और कई बार वनस्पति घी की मिलावट तक होती है
  • इसके उलट देशी गाय का घी अग्निवर्धक, स्निग्ध और सूजननाशकहोता है

मिथक 3: “घी कभी भी, किसी भी मात्रा में ले सकते हैं”

➡️सत्य:

  • आयुर्वेद में घी का सेवनसमय, मात्रा और व्यक्ति की प्रकृतिके अनुसार होता है
  • रात को 1 चम्मच घी गर्म दूध में — सबसे उपयुक्त तरीका
  • खाली पेट घी खाना सभी को नहीं सूट करता, विशेषकर कफ प्रधान व्यक्तियों को

👉यदि यह सब समझना हो कि कौन सा घी, कब और कैसे लें —
तो पहलेअपना त्रिदोष जांचेंऔर फिर आगे बढ़ें।

👉 यह भी पढ़ें-हर खाने के बाद पेट गुब्बारे जैसा फूलता था – अब पता चला दोष कहाँ था!

🟠घरेलू उपाय: देशी घी से जुड़ी 3 अचूक विधियाँ जो राहत दें

देशी घी और बवासीर,

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सिर्फ सही घी के 3 प्रयोग ही बवासीर में 70-80% तक राहत दे सकते हैं — अगर उन्हेंनियमित, संयमपूर्वक और सही तरीके से किया जाए।

🟢 1. तांबे के पात्र में रखा घी + त्रिफला

  • रात में तांबे के बर्तन में 1 चम्मच देशी घी रखें
  • सुबह उसमें आधा चम्मच त्रिफला मिलाकर सेवन करें
  • यह संयोजनवात और पित्त दोनों दोषों को शांत करता है और मल मार्ग को स्वच्छ करता है

🟢 2. गर्म दूध + 1 चम्मच देशी घी – सोने से पहले

  • यह सबसे प्राचीन और असरदार तरीका है
  • इससे न केवल कब्ज दूर होता है, बल्कि गुदा क्षेत्र की सूजन और दर्द में भी राहत मिलती है
  • यह उपायपाचन अग्नि को मजबूत करता है और नींद बेहतर बनाता है

🟢 3. गुदा क्षेत्र पर बाह्य घी प्रयोग

  • हल्के गर्म देशी घी को रूई या कॉटन की सहायता से प्रभावित भाग पर लगाएँ
  • जलन, खुजली और सूजन में तत्काल राहत मिलती है
  • विशेष रूप से जिनको चलने-फिरने में दर्द होता है, उनके लिए ये उपाय अत्यंत लाभकारी है

🌿विशेष सुझाव:

👉यदि आप शरीर को समग्र रूप से संतुलित करना चाहते हैं, तो घी के साथ प्राणस्य फॉर्मूला का उपयोग करें — जो पंचगव्य आधारित एक बुद्धि, इंद्रिय और पाचन को सक्रिय करने वाला सूत्र है।

🔚निष्कर्ष:
घी को दोषी मानना एक भ्रम है।
असल में, घी को सही समझें, स्रोत की शुद्धता पहचानें और आयुर्वेद की विधि से अपनाएं, तो यह बवासीर जैसे रोगों में सबसे प्राकृतिक और प्रभावी उपचार बन जाता है।

👉और सबसे पहले —
🔗अपना त्रिदोष जानें और उपचार की दिशा में बढ़ें

👉 यह भी पढ़े- मैं हर समय थका-थका सा रहता था, जब तक Tridosh Tool ने लीवर की सच्चाई नहीं बताई

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🟢योग और प्राणायाम से उपाय: पंचगव्य आधारित जीवनशैली के साथ समाधान

बवासीर का आयुर्वेदिक समाधान
⚖️ क्या आपका त्रिदोष संतुलन बिगड़ा हुआ है?

आपने अपने दोष का विश्लेषण कर लिया है — अब समय है संतुलन की ओर पहला कदम बढ़ाने का।

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🌿 समाधान देखें और संतुलन शुरू करें

बवासीर केवल पेट की बीमारी नहीं है, यह आपकी गति, पाचन और तनाव से जुड़ी संपूर्ण समस्या है। योग और प्राणायाम इसमें अद्भुत परिणाम देते हैं, खासकर जब पंचगव्य आधारित दिनचर्या के साथ अपनाए जाएँ।

🧘‍♂️ लाभकारी आसन:

  • पवनमुक्तासन – गैस, कब्ज और सूजन कम करता है
  • मालासन (शौचासन) – गुदा क्षेत्र में रक्त प्रवाह बढ़ाता है
  • वज्रासन – भोजन के बाद करने से पाचन सुधरता है

🌬️ प्राणायाम:

  • अनुलोम-विलोम – त्रिदोष संतुलन में सहायक
  • भ्रामरी – मानसिक तनाव कम कर मल त्याग को नियमित करता है

🐄पंचगव्य आधारित दिनचर्या:

  • सुबह गाय के गोमूत्र अर्क का सेवन
  • देशी घी से मालिश
  • पंचगव्य से बनी धूप और नस्य का प्रयोग

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👉 यह भी पढ़े-लीवर डिटॉक्स से पहले ये 1 दोष जांचना अति आवश्यक है – अन्यथा नुकसान तय है!

❓अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1. बवासीर में कौन सा घी नहीं खाना चाहिए?

❌जर्सी, भैंस या बाजार का पैक्ड घी।

✅नहीं, देशी घी सीमित मात्रा में हर ऋतु में लाभकारी है।

✅हां, हल्का गर्म देशी घी गुदा पर लगाने से राहत मिलती है।

✅हां, नियमितता और दोषानुसार उपाय से संभव है।

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👉 यह भी पढ़ें- भूख लगना बंद हो गई थी, मैंने सोचा डिप्रेशन है – लेकिन मूल कारण कुछ और निकला!

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🟣निष्कर्ष: बवासीर में घी खाना – समझदारी या लापरवाही?

बिना सोचे-समझे घी को पूरी तरह छोड़ देना बवासीर के उपचार में एक सामान्य लेकिन खतरनाक भूल है।
आयुर्वेद स्पष्ट कहता है —सही पदार्थ, सही मात्रा और सही समय पर लिया जाए तो वही औषधि बनता है।”

👉यदि आप शुद्ध देशी गाय का घी अपनाते हैं —
और उसे सही मात्रा (1 चम्मच), सही समय (रात्रि में दूध के साथ या भोजन में सीमित रूप से) पर लेते हैं —
तो यह न केवल मल मार्ग को स्निग्ध करता है, बल्कि शरीर में वात दोष को शांत कर बवासीर जैसी व्याधियों को प्राकृतिक रूप से शांत करता है।

🛑लेकिन अगर आप मिलावटी, डिब्बाबंद, भैंस या जर्सी गाय का घी प्रयोग करते हैं —
तो यहशरीर में भारीपन, कब्ज और सूजनको बढ़ा सकता है।

➡️इसलिए निर्णय आपके हाथ में है:
घी को दोषी मानकर लापरवाही करें या समझदारी से अपनाकर उसे औषधि बनाएं।

👉 यह भी पढ़ें- पेट की चर्बी कम करने के लिए सुबह खाली पेट क्या खाना चाहिए? 90% लोग गलत चीज़ खा रहे हैं!

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🟡अब क्या करें? अगला कदम जो रोग को जड़ से मिटाने की दिशा में ले जाए

अब जब आपको बवासीर और घी के बीच का वास्तविक संबंध समझ आ गया है, तो अब समय है कदम उठाने का
👉सिर्फ पढ़ना काफी नहीं, अब अपनी प्रकृति को समझना ज़रूरी है।

🔹Step 1: त्रिदोष जाँचें

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तभी आप जान पाएँगे कि आपके शरीर में वात, पित्त या कफ में से कौन सा दोष असंतुलन में है।

🔹Step 2: जानें किस प्रकार का बवासीर है

रक्तस्रावी या व्रणयुक्त? अंदरूनी या बाहरी? दर्द प्रधान या खुजली प्रधान?
ये सभी बातें आपके उपचार की दिशा तय करेंगी।

🔹Step 3: व्यक्तिगत आयुर्वेदिक मार्गदर्शन लें

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ताकि कोई भ्रम न रहे, और आपको विशेष सलाह मिल सके।

🔹Step 4: त्रिदोष समाधान पैकेज अपनाएँ

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🔹Step 5: पंचगव्य जीवनशैली अपनाएँ

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हमारी आंत में रहने वाले बैक्टीरिया का क्या उपयोग है – 90% लोग इसके फ़ायदे नहीं जानते! पढ़ाई में दिमाग तेज करने के लिए क्या खाना चाहिए? जानिए वो 5 चीज़ें जो IIT टॉपर्स प्रतिदिन खाते हैं हर शाम मैं टूट सा जाता था… जब तक मैंने ये 5 नियम नहीं अपनाए। मानसिक तनाव किसे कहते हैं? 90% लोग इसका मतलब ही गलत समझते हैं सांसों पर ध्यान लगाने के फायदे: जो सच कोई नहीं बताता, वो जान लीजिए आज Belly Fat घटाने का असली राज़ – खाली पेट खाने वाली चीज़ें बदलते मौसम में ही क्यों आती है बार-बार बीमारी? असली वजह जानिए! माँ की 3 बातों ने मेरा ध्यान बढ़ा दिया – अब हर कोई पूछता है मेरा सीक्रेट आपके लिए कौन सा योग ज़हर बन सकता है? पहले जानिए अपना दोष! क्या ब्रह्ममुहूर्त सिर्फ संतों के लिए है? जानिए आम लोगों के लिए इसका गुप्त रहस्य!
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