गैस की समस्या से जुड़ी 5 गुप्त बीमारियाँ-आयुर्वेद कहता है – यह सिर्फ हवा नहीं, चेतावनी है!

हर रोज़ गैस बनना कोई सामान्य बात नहीं। आयुर्वेद में इसे वात दोष की गहरी चेतावनी माना गया है।

लगातार गैस बनना, पेट में भारीपन = लीवर sluggish हो सकता है। आयुर्वेद में इसे पित्त की रुकावट कहा गया है।

गैस का सीधा असर दिमाग़ पर पड़ता है। घबराहट, बेचैनी और अनिद्रा इसका संकेत हो सकते हैं।

बार-बार गैस, मोड़, कभी कब्ज़ कभी ढीला – येIBS के लक्षण हो सकते हैं। आयुर्वेद में इसे "ग्रहणी" कहा गया है।

बार-बार गैस, मरोड़, कभी कब्ज़ कभी ढीला – ये IBS के लक्षण हो सकते हैं। आयुर्वेद में इसे "ग्रहणी" कहा गया है।

अगर हर चीज़ गैस बना रही है, तो जठराग्नि(पाचन अग्नि) कमज़ोर हो चुकी है।

वात दोष बढ़े तो गैस से जोड़ दर्द, थकान, नींद ना आना शुरू हो जाता है।

गैस का इलाज सिर्फ दवा नहीं, दोष संतुलन है। वात-पित्त-कफ की पहचान जरूरी है।

घरेलू उपाय – जो सच में असर करें  1. सौंफ + अजवाइन चूर्ण 2. त्रिकटु चूर्ण 3. ताजा अदरक + सेंधा नमक 4. रात को तिल का तेल नाभि पर

गैस से पीछा छुड़ाना है तो पहले समझो – कौनसा दोष बढ़ा है। हमारा Tridosh Calculator मदद करेगा।