लोग क्या समझते हैं?

अधिकतर लोग सोचते हैं तनाव यानी टेंशन, पढ़ाई का प्रेशर या ऑफिस का वर्कलोड।

असल में मानसिक तनाव क्या होता है?

ये एक ऐसी स्थिति है जब दिमाग़ लगातार चिंता, डर और नकारात्मक सोच से घिरा रहता है।

थोड़ा टेंशन ≠ मानसिक तनाव

थोड़ी चिंता तो नॉर्मल है, लेकिन जब ये रोज़मर्रा को बिगाड़ने लगे – वही मानसिक तनाव है।

ये लक्षण दिखें तो ध्यान दें...

थकान, चिड़चिड़ापन, नींद की कमी, उदासी, खुद को बेकार समझना – सब संकेत हैं।

तनाव सिर्फ दिमाग़ तक सीमित नहीं

सिरदर्द, भूख में बदलाव, हृदय की धड़कन तेज़ – ये सब शारीरिक असर हैं।

2 हफ्ते से ज़्यादा?

अगर लक्षण लगातार हैं और रोज़ की लाइफ पर असर डाल रहे हैं – तो मदद ज़रूरी है।

मदद लेना कमजोरी नहीं है

थेरेपी, बातचीत या मेडिकेशन – ये हिम्मत है, शर्म की बात नहीं।

छोटे-छोटे बदलाव से राहत मिलेगी

योग, journaling, nature walk, परिवार से बात – सब बहुत असरदार हैं।

अब भी सोचें – क्या सही जाना था?

अगर अब समझ आया है, तो इसे दूसरों से शेयर करें – awareness फैले।

"तनाव को नज़रअंदाज़ मत करो — समझो, बात करो और सही समय पर हेल्प लो।

इस एक गलती ने लाखों को डिप्रेशन में डाला – क्या आप भी वही कर रहे हो?