“पेट ही साफ नहीं होता साहब… तो मन भी भारी-भारी लगता है।”
आपने भी शायद कभी न कभी ऐसा महसूस किया होगा – पेट भरा हो फिर भी भूख नहीं लगती, खाना खाओ तो गैस बनती है, और बाथरूम में जाने का मतलब एक जंग जीतने जैसा लगता है। दिनभर कोई energy नहीं, मन चिड़चिड़ा, और चेहरा ऐसा जैसे कई दिन से ठीक से नींद ही ना हुई हो।
अब हर कोई यही पूछता है – “आंतों को मजबूत करने के लिए क्या खाएं?”
पर कोई ये नहीं बताता कि हर पेट एक जैसा नहीं होता। कोई चीज़ जो एक को फायदा देती है, दूसरे के लिए ज़हर जैसी हो सकती है। यही वजह है कि सब कुछ सही खाने के बावजूद भी सुधार नहीं आता।
👉 असली कारण पेट नहीं, आपके अंदर छिपा दोष असंतुलन होता है – वात, पित्त या कफ।
और जब तक ये संतुलन नहीं समझेंगे, तब तक कुछ भी खाकर फायदा नहीं मिलेगा।
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इस लेख में बात होगी उन देसी बातों की – जो माँ-दादी जानती थीं, पर हमें कभी बताई नहीं गईं।
आगे आप जानेंगे
Toggleबस एक वादा है – पढ़ते-पढ़ते आपको लगेगा, “हाँ! यही तो मेरे साथ भी हो रहा है…”
👩 एक सच्ची कहानी – “जब सबकुछ ठीक था, लेकिन पेट नहीं मानता था”
आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति में तीन दोष होते हैं – वात, पित्त और कफ। इस सरल ऑनलाइन टेस्ट से जानें कि आपका प्रमुख दोष कौन सा है और उसे संतुलित कैसे रखें।
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रीना (बदला हुआ नाम), 34 साल की एक वर्किंग माँ हैं। दिन उनके लिए सुबह 6 बजे शुरू होता है – बच्चों का टिफिन, ऑफिस की मीटिंग, घर के काम… सबकुछ। ऊपर से सबसे बड़ी लड़ाई – पेट की।
हर सुबह बाथरूम में आधा घंटा बैठना अब आदत बन चुकी थी। पर हर बार यही लगता – अभी भी कुछ बाकी है। दिनभर गैस, मुँह का स्वाद कड़वा, और चेहरे पर ऐसे पिंपल जैसे नींद भी पूरी ना हुई हो।
“सब कुछ ठीक तो है… फिर भी मन हल्का क्यों नहीं लगता?”
एक दिन किसी ने उन्हें Free Tridosh Report भरने को कहा। बस 2 मिनट लगे… और जो जवाब आया, वो आंखें खोलने वाला था – पित्त दोष बहुत बढ़ चुका था।
रीना जो सोचती थीं कि दही से ठंडक मिलती है, राजमा प्रोटीन है, वही चीज़ें उनकी आंतें बिगाड़ रही थीं।
फिर शुरू हुआ देसी बदलाव – दही की जगह मट्ठा, तली चीज़ों की जगह बेल का शरबत, और रोज़ एक चम्मच देसी घी। 10 दिन में फर्क महसूस हुआ। अब बाथरूम एक सजा नहीं, राहत बन गया था।
और सबसे बढ़कर – मन शांत था।
👉 कई बार हल निकालना मुश्किल नहीं होता, बस दिशा सही चाहिए।
👉 इसलिए पढ़ना ज़रूरी है – “आंतों को मजबूत करने के लिए क्या खाएं?” और “कब, क्यों और किसके लिए खाएं?”
आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति में तीन दोष होते हैं – वात, पित्त और कफ। इस सरल ऑनलाइन टेस्ट से जानें कि आपका प्रमुख दोष कौन सा है और उसे संतुलित कैसे रखें।
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🌿 आंतों को मजबूत करने के लिए क्या खाएं – दोष के अनुसार देसी समझ
अब देखिए…
लोग रोज़ पूछते हैं – “आंतों को मजबूत करने के लिए क्या खाएं?”
पर असली सवाल ये है – आपकी आंतें किस वजह से कमज़ोर हैं?
क्योंकि खाना तो दवाई है, लेकिन बिना जड़ जाने खाओगे तो फायदा कम, नुकसान ज़्यादा होगा।
हर किसी का दोष अलग – खाना भी अलग।
✅ वात दोष वालों को अक्सर कब्ज, सूखापन और गैस की दिक्कत रहती है।
→ ऐसे में गरम चीजें, जैसे देसी घी, मूंग की दाल, हिंग वाला पानी और सूप सबसे असरदार रहते हैं।
✅ पित्त दोष में अंदर जलन, मुँह का कड़वापन, बार-बार टॉयलेट और गुस्सा सब बढ़ जाते हैं।
→ इनके लिए बेल का शरबत, धनिया पाउडर वाला पानी और ठंडी तासीर वाली चीजें रामबाण हैं।
✅ कफ दोष में तो बात ही कुछ और है – शरीर भारी, मन सुस्त और अंदर चिपचिपी म्यूकस सी फीलिंग।
→ ऐसे में अदरक-लहसुन, त्रिकटु, और नींबू-शहद वाला गुनगुना पानी बहुत राहत देता है।
👉 ध्यान रहे: बिना दोष जाने अगर आप सिर्फ “हेल्दी” समझकर कुछ भी खा रहे हैं, तो ये गलती 90% लोग करते हैं।
📌 इसी से जुड़ा अनुभव ज़रूर पढ़ें: हर खाने के बाद पेट फूलता था, अब दोष समझ आया

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🐄 अभी कोर्स देखें और परिवार को स्वस्थ बनाएंये सबसे छुपी हुई, लेकिन सबसे तकलीफ़देह दिक्कत होती है – जमा हुआ मल।
जो बाहर नहीं निकलता, वो अंदर से सड़ा करता है… और असर पूरे शरीर पर दिखता है।
– मुंह का स्वाद
– पेट में गैस
– मन का भारीपन
– त्वचा पर फोड़े-फुंसियां
असल में जब आंतें खुद गंदगी में डूबी हों, तो खाना कितना भी अच्छा हो, फायदा नहीं देता।
तो करना क्या है?
बहुत कुछ नहीं – बस रोज़ाना ये छोटी चीजें:
- सुबह-सुबह 1 गिलास गुनगुना पानी (थोड़ा हिंग या नींबू डाल सकते हैं)
- रात को सोने से पहले आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण
- दिन में 1-2 चम्मच देसी घी (किसी भी सब्जी या रोटी के साथ)
- और 5 मिनट का एक आसान प्राणायाम – जैसे अनुलोम-विलोम
👉 खासकर वात दोष वालों के लिए ये तरीका सोने पे सुहागा है – क्योंकि उनका मल सूख कर अंदर अटक जाता है।
📌 ज़रूर पढ़ें: मैं भी घंटों बाथरूम में बैठता था… जब तक वैद्य ने ये दोष नहीं बताया!
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🥛 क्या दूध आंतों के लिए अच्छा है? – सबके लिए नहीं!
दूध अच्छा होता है – ये आपने हमेशा सुना होगा। पर क्या ये सबके पेट के लिए अच्छा होता है?
नहीं।
ये वही बात है जो दादी जानती थीं, पर हम भूल गए।
👉 अगर आपका वात दोष ज़्यादा है, तो देसी गाय का हल्का गरम दूध फायदेमंद होता है।
थोड़ा हल्दी या सौंठ डाल लें तो और अच्छा।
👉 अगर पित्त बढ़ा है, यानी जलन, तेज भूख, बार-बार टॉयलेट, तो दूध का सेवन नुकसानदेह हो सकता है – खासकर रात को।
कई बार लोग सोचते हैं दूध ठंडा है, पर असल में पित्त वालों के लिए ये अंदर से और उलझन बढ़ा देता है।
👉 और कफ दोष वालों को तो दूध से दूरी बना लेनी चाहिए।
क्योंकि ये उनके अंदर म्यूकस, भारीपन, आलस और जकड़न बढ़ा देता है।
मतलब साफ़ है – दूध अमृत भी है, और जहर भी – बस दोष के अनुसार फर्क है।
📌 इससे जुड़ी एक जरूरी बात ज़रूर पढ़ें: बवासीर में घी खा सकते हैं या नहीं?
"हर सुबह आधा घंटा बाथरूम में बैठती थी, फिर भी पेट हल्का नहीं लगता। दिनभर भारीपन, गैस, और कभी भूख ही नहीं लगती थी। चेहरे पर पिंपल, मूड भी चिड़चिड़ा — सब गड़बड़ हो गया था।"
फिर एक दिन मैंने Free Tridosh Report भरी — पता चला मेरा पित्त दोष बहुत बढ़ा हुआ है। जो मैं खा रही थी — दही, राजमा, गरिष्ठ चीजें — वही असली गड़बड़ कर रही थीं।
मैंने देसी उपाय शुरू किए — सुबह देसी घी, बेल का शरबत और मट्ठा लिया। खाने के बाद वज्रासन और सुबह-सुबह कपालभाति करने लगी। सिर्फ 15 दिन में पेट ही नहीं, मन भी हल्का लगने लगा।
अब समझ आया कि आंतें सिर्फ खाना पचाने के लिए नहीं — पूरे शरीर के संतुलन की जड़ होती हैं। त्रिदोष समाधान से मेरी आंतें अब मेरी सच्ची साथी बन गई हैं।
🌿 — जो चीज़ सबके लिए सही है, वो शायद आपके लिए ज़हर हो — पहले दोष को समझिए।
🌡️ आंतों में सूजन के लक्षण क्या हैं? – ध्यान ना दिया तो बड़ी दिक्कत

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🛒 अभी खरीदेंपेट की सूजन कोई साधारण चीज़ नहीं।
ये अंदर ही अंदर शरीर की ऊर्जा को चूसने लगता है।
पर कई बार लोग इसे पहचान ही नहीं पाते, क्योंकि लक्षण थोड़े उलझे होते हैं।
– पेट में जलन, जैसे अंदर कुछ पक रहा हो
– टॉयलेट जाने के बाद भी अधूरापन लगे
– पेट भारी रहे, या जैसे कोई गांठ सी हो
– और सबसे आम – भूख का धीरे-धीरे गायब हो जाना
ये सब संकेत हैं कि आंतों में सूजन है… और अक्सर इसका रिश्ता बढ़े हुए पित्त दोष से होता है।
ऐसे में इलाज दवा से पहले खाने और दिनचर्या से होना चाहिए।
👉 बेल का शरबत,
👉 सौंफ का पानी,
👉 और दिन में एक बार ठंडा मट्ठा –
ये छोटी-छोटी चीज़ें सूजन को अंदर से शांत करती हैं।
📌 ज़रूर पढ़ें: भूख लगना बंद हो गई थी… लेकिन कारण कुछ और निकला!
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आजकल बस थोड़ा पेट खराब हुआ नहीं, लोग सीधे गोली खा लेते हैं।
पर कभी आपने सोचा – जो इन्फेक्शन बार-बार लौट आता है, उसका इलाज क्या सिर्फ दवाई हो सकता है?
असल में आंतों की गंदगी सिर्फ बैक्टीरिया या वायरस नहीं होती… कई बार वो वात, पित्त या कफ के असंतुलन से पैदा होती है।
👉 अगर वात दोष हावी हो, तो कब्ज, सूखा मल और पेट में अटकाव महसूस होगा।
👉 पित्त बढ़ा हो, तो जलन, पेट में खौलना और loose motion आम बात है।
👉 और कफ दोष हो, तो म्यूकस वाली टट्टी, भारीपन और कुछ न पचने वाली फीलिंग बनी रहती है।
तो इलाज सिर्फ गोली से नहीं, भीतर की सफाई से होना चाहिए।
और यही सफाई मिलती है – देसी चीजों से:
– रोज़ रात को त्रिफला
– सुबह 2 चम्मच पंचगव्य अर्क
– और हफ्ते में 2-3 दिन Detox Blend
बस, धीरे-धीरे पेट ऐसा साफ़ होता है कि इन्फेक्शन दोबारा लौटकर नहीं आता।
📌 ये भी ज़रूर पढ़िए – 3 दिनों में अपने लिवर को कैसे डिटॉक्स करें
क्योंकि इन्फेक्शन का रिश्ता सिर्फ पेट नहीं, लिवर से भी होता है।
💨 आंतों में गैस क्यों बनती है? – दादी कहती थीं, ये आदतें छोड़ दो बेटा!
गैस की दिक्कत आजकल ऐसी हो गई है जैसे मोबाइल की बैटरी – हर किसी को रोज़ खत्म होती है, फिर भी कोई सीरियसली नहीं लेता।
लेकिन जब पेट फूल जाता है, आवाजें आती हैं, और दिनभर भारीपन बना रहता है – तब समझ आता है कि बात सिर्फ गैस की नहीं, आंतों की हालत की है।
👉 सबसे पहला कारण – गलत समय पर खाना।
जिस वक्त शरीर पचाने के लिए तैयार नहीं, उस समय कुछ भी डालना मतलब दिक्कत को न्योता देना।
👉 दूसरा – वात दोष का असंतुलन।
जो लोग अक्सर सोचते हैं कि उनका पेट ठीक है लेकिन फिर भी गैस बनती है, वो अक्सर वात को नजरअंदाज कर देते हैं।
👉 तीसरा – बार-बार कुछ खाते रहना।
थोड़ी देर में चाय, फिर बिस्किट, फिर मूंगफली… इससे पेट को कभी आराम ही नहीं मिलता।
👉 और चौथा – कच्ची चीजें ज़्यादा खाना, जैसे फल या सलाद, बिना दोष जाने।
ये वात वालों के लिए उल्टा असर करता है।
📌 इससे जुड़ा अनुभव आपको बहुत कुछ सिखा सकता है:
“मैं रोज़ गैस से परेशान था, जब तक दादी ने ये 7 आदतें नहीं छुड़वाई!”
आपने अपने दोष का विश्लेषण कर लिया है — अब समय है संतुलन की ओर पहला कदम बढ़ाने का।
पंचतत्त्व का त्रिदोष समाधान एक गहराई से तैयार मार्गदर्शिका है जिसमें शामिल हैं:
- त्रिदोष रिपोर्ट + घरेलू उपाय
- खानपान और योग दिनचर्या
- विशेषज्ञ परामर्श (यदि चुना जाए)
यह समाधान कई लोगों के जीवन में बदलाव ला चुका है — अब आपकी बारी है।
🌿 समाधान देखें और संतुलन शुरू करें🧘 योग और प्राणायाम से समाधान – शांति भी लाते हैं, और सफाई भी

कई बार हम सिर्फ खाना बदलते हैं, लेकिन पेट ठीक नहीं होता।
क्यों? क्योंकि आंत की सफाई सिर्फ बाहर से नहीं होती… श्वास से, हरकत से, भीतर से भी होती है।
योग और प्राणायाम – ये कोई नए फैशन की चीज़ नहीं है।
ये वो देसी साधन हैं, जो मन को भी शांत करते हैं और पेट को भी हल्का।
👉 सुबह उठकर पवनमुक्तासन – जैसे नाम वैसा असर – पेट की हवा और कब्ज दोनों बाहर निकालता है।
👉 खाना खाकर 10 मिनट वज्रासन – इससे खाना नीचे जाता है, गैस नहीं बनती।
👉 फिर आता है कपालभाति – खाली पेट, गहरी साँसें और छोड़े हुए ज़हर जैसी हर बासी हवा निकल जाती है।
ये पेट ही नहीं, दिमाग भी साफ़ करता है।
👉 और सबसे जरूरी – अनुलोम-विलोम – वात वालों के लिए तो ये संजीवनी है।
मन शांत, पेट संतुलित, और सारा सिस्टम ठीक।
अगर इंद्रियां सुस्त लगती हैं, या मन भारी रहता है – तो Pranasya Formula को ज़रूर आज़माएं।
ये पुराने वैद्यों की वही विद्या है, जो इंद्रियों की शक्ति बढ़ाकर आंतों को भी मज़बूत करती है।
🧠 मिथक बनाम सत्य ✅ – जो सुनते आए हैं, वो जरूरी नहीं सही हो
हर किसी ने अपने-अपने सुझाव दिए होंगे –
“ये खा लो, वो छोड़ दो, फल खाना शुरू कर दो…”
पर क्या वो सब आपके लिए सही भी है?
चलिए अब एक बार दिल-दिमाग खोलकर देख लें कि असल में क्या सच है और क्या भ्रम:
❌ Myth: ज्यादा फाइबर हर किसी के लिए फायदेमंद होता है
✅ Fact: अगर आपका वात दोष बढ़ा है, तो ज्यादा फाइबर से पेट और भी सूख जाएगा… मतलब गैस, कब्ज और बेचैनी।
❌ Myth: दही हर मौसम में सही है
✅ Fact: सर्दियों में या रात में दही वात और कफ दोनों बिगाड़ सकता है। अगर पित्त बढ़ा है, तो वो भी बस दोपहर तक ही ठीक है।
❌ Myth: हर फल पेट के लिए अच्छा होता है
✅ Fact: कफ दोष वालों को केला, सेब जैसे फल और भी भारी कर सकते हैं – पेट फूलता रहेगा, खाना पचेगा नहीं।
❌ Myth: पेट की सफाई का मतलब सिर्फ टट्टी आना है
✅ Fact: असली सफाई तब होती है जब अंदर जमा हुआ पुराना मल भी निकले… नहीं तो सब अधूरा लगता है।
❌ Myth: दूध पीने से नींद अच्छी आती है
✅ Fact: कफ और पित्त वाले अगर रात में दूध लें, तो उल्टा भारीपन, म्यूकस और बेचैनी बढ़ जाती है – नींद क्या, सपना भी नहीं आता।
आयुर्वेदिक परामर्श से जीवन में बदलाव लाएं 🌿"हमने जबसे आयुर्वेदिक मार्गदर्शन लेना शुरू किया, तबसे न सिर्फ हमारी दिनचर्या सुधरी, बल्कि पुरानी थकान और सिरदर्द जैसी समस्याएं भी गायब हो गईं। ये परामर्श हमारी जीवनशैली को समझकर व्यक्तिगत समाधान देता है।"
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल – जो शायद आपके मन में भी हों
1. मुझे कैसे पता चले कि मेरा कौन-सा दोष असंतुलित है?
👉 सबसे पहले यही जानना ज़रूरी है, वरना हर नुस्खा अंधेरे में तीर चलाने जैसा होगा।
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2. क्या खाली पेट फल खाना ठीक है?
हर कोई कहता है – सुबह फल खाओ, लेकिन क्या सबके लिए?
👉 वात वालों के लिए उल्टा भारी पड़ सकता है।
पित्त में तो सुबह फल अमृत बनते हैं। दोष के अनुसार ही फायदा मिलता है।
3. मैं हर दिन पेट साफ़ नहीं कर पाता, क्या यह सामान्य है?
नहीं, बिल्कुल नहीं।
👉 यह कोई छोटी बात नहीं – इसका मतलब है कि शरीर अंदर से जूझ रहा है।
यह लेख ज़रूर पढ़िए – तीसरा कारण सबसे ज़्यादा अनदेखा होता है।
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🌿 समाधान देखें और संतुलन शुरू करें🧾 निष्कर्ष – पेट को हल्का करो, तो मन खुद-ब-खुद मुस्कुराएगा
हम सोचते हैं पेट का काम सिर्फ खाना पचाना है…
लेकिन असल में ये मन, त्वचा, नींद, इम्युनिटी – हर चीज़ से जुड़ा है।
और जब तक आप अपने दोष को नहीं पहचानते, तब तक हर उपाय बस दिखावे भर होता है।
👉 चाहे त्रिफला हो या घी, पंचगव्य हो या फल – असर तब ही होता है जब शरीर की ज़रूरत के हिसाब से लिया जाए।
Panchtatvam यही मानता है:
हम रोग नहीं, दोष देखते हैं।
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अब जब आप जान गए कि समस्या क्या है और रास्ता क्या है,
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📖 मेरा उद्देश्य है कि हर परिवार त्रिदोष और पंचतत्व को समझे और रोग से पहले संतुलन अपनाए।