“क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग से weight loss होता है?”
ये सवाल आज हर दूसरा इंसान अपने दोस्त, डॉक्टर या गूगल से पूछ रहा है। कोई सुबह उठते ही खाली पेट भाग रहा है, कोई रात का खाना छोड़ रहा है — सबको एक ही उम्मीद है: वजन कम हो जाए… बस किसी भी तरह।
लेकिन क्या वाकई इतना आसान है?
क्या सिर्फ खाना छोड़ देने से पेट अंदर चला जाएगा?
और क्या ये तरीका सबके लिए सही है?
अगर आप भी वही कर रहे हैं जो सब कर रहे हैं — बिना ये समझे कि आपके शरीर का सिस्टम क्या कहता है — तो रुकिए।
कई लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहे हैं, पर नतीजे उल्टे आ रहे हैं —
थकान, चिड़चिड़ापन, नींद उड़ जाना, या अचानक पेट खराब होना।
क्यों? क्योंकि एक बात कोई नहीं बताता —
हर शरीर का समय, तरीका और ज़रूरत अलग होती है।
आगे आप जानेंगे
Toggle👉 लेकिन सबसे पहले… एक ज़रूरी कदम उठाइए।
आपका शरीर क्या चाहता है, ये जानना ज़रूरी है।
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(फिर ही कोई तरीका सही चलेगा)
❤️ एक सच्ची कहानी – शिखा की जुबानी
आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति में तीन दोष होते हैं – वात, पित्त और कफ। इस सरल ऑनलाइन टेस्ट से जानें कि आपका प्रमुख दोष कौन सा है और उसे संतुलित कैसे रखें।
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“मैंने सोचा था इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से मेरा वजन कम हो जाएगा।”
शिखा, एक 34 साल की स्कूल टीचर, पिछले 3 साल से वजन को लेकर परेशान थी। हर बार कोई नया तरीका अपनाती — कभी नाश्ता छोड़ देती, कभी रात का खाना। इस बार किसी ने सलाह दी 16-8 वाला फास्टिंग ट्राय करो।
पहले दो दिन सब ठीक रहा, फिर अचानक:
- सिर भारी लगने लगा
- चिड़चिड़ापन इतना कि बच्चों पर चिल्ला पड़ी
- थकान ऐसी कि शाम होते-होते लेटना पड़ता
तब एक दोस्त ने कहा, “तू सबसे पहले ये तो देख तेरा दोष क्या है।”
हमने शिखा से Free Tridosh Report भरवाई।
रिपोर्ट ने बताया – उसका वात दोष बुरी तरह असंतुलित है। और इसी कारण लंबे उपवास से उसका शरीर और गड़बड़ाने लगा।
फिर क्या किया?
- फास्टिंग विंडो छोटा किया
- देसी गाय का घी शामिल किया
- नीम और त्रिफला वाला जल जोड़ा
- और सबसे अहम – खाने का समय दोष के हिसाब से सेट किया
21 दिन बाद खुद उसने कहा:
“अब थकान नहीं होती… और वजन भी धीरे-धीरे कम हो रहा है।”
➡️ क्या आप भी शिखा की तरह गलत दिशा में मेहनत कर रहे हैं?
पहला कदम सही लीजिए — Free Tridosh Report से शुरुआत करें।
👉 यह भी पढ़ें- क्या हर सुबह सिरदर्द सामान्य है? जानिए इसका छिपा हुआ कारण!
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🟢 क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग से weight loss होता है?

हां… होता है, लेकिन सब पर एक जैसा नहीं।
लोग सोचते हैं कि बस खाना छोड़ दो, वजन अपने-आप कम हो जाएगा — पर सच्चाई थोड़ी उलझी है।
कुछ लोगों को फायदा होता है, पर बहुत से लोग उलझन, कमजोरी और चिड़चिड़ापन लेकर बैठ जाते हैं। क्यूं?
क्योंकि इंटरमिटेंट फास्टिंग कोई जादुई फार्मूला नहीं, ये शरीर की जरूरत और प्रकृति को समझने का तरीका है।
अगर आप फास्टिंग करते वक्त:
- सही समय पर खाना खाते हैं
- अपने दोष (वात, पित्त, कफ) के अनुसार समय तय करते हैं
- और घी, नीम, हल्दी, जल जैसे देसी तत्वों का सही तरीके से उपयोग करते हैं
तो हां, इसका असर दिखता है। वरना वही पुरानी कहानी – शुरुआत में जोश, कुछ दिनों में ढीले… फिर छोड़ दो।
👉 सबसे बड़ी गलती लोग यही करते हैं – सबके लिए एक जैसा नियम समझते हैं।
वात दोष वाले अगर लंबा उपवास करेंगे, तो वजन तो नहीं घटेगा, लेकिन थकावट जरूर चढ़ जाएगी।
वहीं कफ दोष वाले अगर समय पर संयमित फास्टिंग करें – तो वजन हल्का भी होता है और सोच भी साफ।
➡️ इसलिए अगर अब तक आपने सिर्फ दूसरों की देखादेखी फास्टिंग की है, तो अब खुद को समझने की बारी है।
Free Tridosh Report से जानिए – आपके शरीर के लिए क्या सही है।
👉 यह भी पढ़ें- माइग्रेन का दौरा शुरू होने से पहले शरीर क्या संकेत देता है?

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बहुत लोग अचानक 16-8 का नियम अपनाकर सोचते हैं कि अब सब ठीक हो जाएगा।
पर असल में फास्टिंग का असर तभी आता है जब आप उसे शरीर के साथ तालमेल में करते हैं — ना कि शरीर के खिलाफ।
तो कैसे करें?
- सुबह उठकर सबसे पहले गुनगुना जल पिएं, चाय नहीं।
- पहला खाना सूर्योदय के बाद और आखिरी भोजन सूर्यास्त से पहले करें।
- देसी घी का उपयोग ज़रूर करें — जोश नहीं, पोषण चाहिए शरीर को।
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- खाना और सोना – दोनों समय पर। ये दो चीजें ही वजन घटाने का असली आधार हैं।
📌 सुबह की आदतें सही किए बिना कोई डाइट काम नहीं करती।
➡️ सुबह उठते ही अगर आप ये 5 काम नहीं करते, तो उम्र बढ़ने लगेगी!
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🍛 इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट चार्ट – देसी और दोषानुसार (10am–6pm विंडो)
फास्टिंग का मतलब ये नहीं कि भूखे मरो,
मतलब ये है कि “सही समय पर सही चीज़ से शरीर को संतुलित रखो।”
और अगर आप सुबह 10 से शाम 6 की खिड़की में खाते हैं, तो पूरा खेल बस इतना है — दो बार खाओ, सोच-समझ कर खाओ।
🕒 समय | 🍽 भोजन | 💡 देसी सुझाव |
7–8am | गुनगुना जल, प्राणायाम, नीम / त्रिफला जल | पेट और मन दोनों को उठाओ — वात वालों को खासतौर पर फायदा |
10am | मुख्य भोजन – देसी थाली (घी, मूंगदाल, सब्ज़ी, रोटी या खिचड़ी) | यही असली भोजन है — जितना भरना हो, यहीं भरो |
5:30–6pm | हल्का भोजन – सूप, फल, छाछ या त्रिफला जल | कफ और पित्त दोष वालों के लिए ये समय पचाने का नहीं, हल्का रखने का है |
रात 6pm के बाद | उपवास चालू – गुनगुना पानी या हर्बल काढ़ा | यहीं से शरीर अपने सफाई अभियान पर निकलता है |
👉 “रात को पाचन नहीं, मरम्मत होनी चाहिए।”
इसलिए शरीर को फ्री रहने दो।
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📌 और याद रखो —
अगर सुबह उठकर ही सब गड़बड़ किया,
तो चाहे कितनी भी फास्टिंग कर लो, असर नहीं आएगा।
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👉 यह भी पढ़ें- माइंडफुलनेस मेडिटेशन कैसे करें? 90% लोग इस एक गलती से नहीं कर पाते असर महसूस
"मैंने कई बार इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू की — कभी 14 घंटे, कभी 16 घंटे। पर हर बार तीसरे दिन के बाद कमज़ोरी, चक्कर और गुस्सा आना शुरू हो जाता। सब कहते थे ये 'शुरुआत' का असर है, पर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि बात कुछ और है।"
फिर मैंने Free Tridosh Report निकाली — पता चला मेरा वात दोष असंतुलित है, और लंबा उपवास मेरे लिए बिल्कुल भी सही नहीं। असल में मेरी चिड़चिड़ाहट और गैस की दिक्कत की यही वजह थी।
उसके बाद मैंने फास्टिंग विंडो को 12–12 घंटे तक सीमित किया, दिन की शुरुआत गुनगुने जल और देशी घी से की, और बीच में नीम-हल्दी वाला पानी शामिल किया। सुबह-सुबह थोड़ा योग और नाड़ी शोधन भी शुरू किया।
अब 15 दिन हो गए हैं और कमज़ोरी की जगह अब हलकापन महसूस होता है। त्रिदोष समाधान सलाह लेने के बाद ही सब कुछ सही दिशा में चला है। फास्टिंग अब शरीर पर बोझ नहीं, एक आरामदायक दिनचर्या बन गई है।"
🧘♀️ — हर शरीर का अपना राग है, बस वो दोष के सुर में हो तो हर प्रयोग सफल होता है।
🤔 क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग से वजन कम होता है या बढ़ता है?

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अब ये सवाल तो बड़ा common है —
“मैं फास्टिंग कर रहा हूँ, फिर भी वजन क्यों नहीं घट रहा?”
तो इसका जवाब सीधा है – आपका शरीर क्या कहता है, वो सुना आपने?
बहुत लोग दिनभर फास्टिंग के नाम पर भूखे रहते हैं, लेकिन जैसे ही टाइम पूरा होता है —
पकोड़े, समोसे, फ्राइड चावल, मीठा… सब चल पड़ता है।
और फिर कहते हैं – “मुझे तो कोई फर्क नहीं पड़ रहा।”
क्यों?
क्योंकि फास्टिंग का मतलब शरीर को सुलझाना होता है, सज़ा देना नहीं।
अगर आपके शरीर में कफ दोष बढ़ा हुआ है, और आप फास्टिंग के बाद तला-भुना खाते हैं —
तो वो और जमा होगा, और वजन घटेगा नहीं… उल्टा बढ़ेगा।
और अगर वात दोष वाला व्यक्ति लम्बे उपवास पर चला जाए,
तो उसका मेटाबॉलिज़्म इतना धीमा हो सकता है कि कम खाकर भी शरीर सब जमा करने लगे।
👉 यही कारण है कि हर किसी को फास्टिंग का एक ही फार्मूला नहीं देना चाहिए।
पहले ये समझिए कि आपका दोष क्या है। फिर उस अनुसार समय और भोजन तय कीजिए।
📖 और अगर आपको लगे कि “यार, ये मैं भी कर चुका हूं”, तो ये जरूर पढ़िए:
🔗 मैंने 15 दिन तक बिना नाश्ता किए देखा क्या हुआ… नतीजे चौंकाने वाले हैं!
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👉 यह भी पढ़ें- यदि खर्राटे आपकी नींद हराम कर रहे हैं, तो अपनाएँ ये तीन सरल उपाय!
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हर शरीर अलग होता है, और त्रिदोष असंतुलन की जड़ें भी अलग-अलग हो सकती हैं। अगर आप चाहते हैं:
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हर चीज़ सबके लिए नहीं होती — और यही बात इंटरमिटेंट फास्टिंग पर भी लागू होती है।
जो लोग सिर्फ YouTube देखकर फास्टिंग शुरू कर देते हैं, वो अक्सर खुद को नुकसान पहुंचा बैठते हैं।
अब ज़रा सोचिए:
अगर आपका शरीर पहले से ही कमजोर है, पाचन गड़बड़ है, या दिमाग़ हर वक्त थका हुआ लगता है —
तो क्या उपवास उस पर और ज़्यादा भार नहीं बन जाएगा?
इन लोगों को फास्टिंग करते वक्त विशेष ध्यान देना चाहिए:
- जिनका वात दोष बढ़ा हुआ है — उन्हें लंबे समय तक भूखे रहना भारी पड़ता है
- जिनका पाचन कमजोर है — उनके लिए खाली पेट रहना मतलब गैस, अपच और भारीपन
- और जो मानसिक थकान से जूझ रहे हैं — उनके लिए फास्टिंग कभी-कभी मानसिक बोझ बन जाता है
👉 शरीर सिर्फ पेट नहीं होता, मन और ऊर्जा भी उसका हिस्सा हैं।
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🧘 योग और प्राणायाम – अंदर से संतुलन लाने का देसी उपाय

फास्टिंग सिर्फ खाने का मामला नहीं है —
ये शरीर, मन और साँसों का तालमेल है।
और जहाँ तालमेल की बात हो, वहां योग और प्राणायाम सबसे बड़ा सहारा हैं।
पर यहाँ भी एक बात ध्यान रखने की है —
हर योग हर किसी के लिए नहीं होता।
जो कफ दोष वाला है, वो अगर दिनभर भ्रामरी करता रहेगा — तो असर नहीं आएगा।
और जो वात वाला है, वो अगर कपालभाति में ही लगा रहेगा — तो बेचैनी और नींद की दिक्कत बढ़ सकती है।
तो करना क्या है?
- कपालभाति – अगर आपको थकान रहती है, खाना पचता नहीं, आलस बना रहता है
- नाड़ी शोधन – अगर आप जल्दी गुस्सा हो जाते हैं, चित्त बेचैन रहता है, नींद उड़ जाती है
- सूर्य नमस्कार – शरीर को दुबारा ऊर्जावान बनाने का रामबाण
- भ्रामरी प्राणायाम – अगर आपको लगता है कि भूख सिर चढ़कर बोलती है और मन नहीं मानता
💡 याद रखिए – योग का असर तभी आता है जब शरीर के दोष को समझकर किया जाए।
🔗 हर योग हर शरीर के लिए नहीं होता – पहले जानिए अपना दोष, वरना पछताना पड़ सकता है!
आपने अपने दोष का विश्लेषण कर लिया है — अब समय है संतुलन की ओर पहला कदम बढ़ाने का।
पंचतत्त्व का त्रिदोष समाधान एक गहराई से तैयार मार्गदर्शिका है जिसमें शामिल हैं:
- त्रिदोष रिपोर्ट + घरेलू उपाय
- खानपान और योग दिनचर्या
- विशेषज्ञ परामर्श (यदि चुना जाए)
यह समाधान कई लोगों के जीवन में बदलाव ला चुका है — अब आपकी बारी है।
🌿 समाधान देखें और संतुलन शुरू करें❌ मिथक बनाम सच्चाई – जो आज भी सबको भ्रमित करते हैं
कभी-कभी सबसे बड़ा जाल वही होता है जिसे सब सच मानते हैं।
इंटरमिटेंट फास्टिंग को लेकर भी बहुत सारे भ्रम लोगों के ज़हन में भरे हुए हैं — नीचे 5 ऐसे मिथक हैं जो शायद आपने भी कभी सुने या माने होंगे।
- मिथक: जितना लंबा उपवास, उतना ज्यादा असर
सच: आपका शरीर क्या चाहता है – यही तय करता है कि कितना उपवास उचित है। दोष के अनुसार ही समय तय होना चाहिए। - मिथक: इंटरमिटेंट फास्टिंग सिर्फ वजन कम करने के लिए होती है
सच: इसका असल असर पाचन, एकाग्रता, नींद और शरीर की सफाई पर होता है — वजन घटाना तो उसका एक साइड इफेक्ट है। - मिथक: उपवास मतलब कुछ भी न खाना
सच: उपवास का मतलब है पेट को आराम और शरीर को समय देना। देसी घी, गुनगुना जल, नीम, त्रिफला जैसे तत्व इसकी रीढ़ हैं। - मिथक: सूरज निकलते ही फास्टिंग चालू कर दो
सच: दोषानुसार कुछ लोगों को सूर्योदय से पहले गुनगुना जल या थोड़ा घी लेना जरूरी होता है — नहीं तो वात और पित्त बढ़ने लगते हैं। - मिथक: ये तरीका सब पर एक जैसा काम करता है
सच: हर शरीर अलग है, हर दोष का रस्ता अलग है। वात, पित्त, कफ — तीनों का समाधान एक जैसा नहीं हो सकता।
➡️ तो अगली बार जब कोई बोले “बस फास्टिंग कर लो, कमर घुल जाएगी” — तो मुस्कुरा कर पूछिए: “तुम्हारा दोष क्या कहता है?”
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❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल – वो जो आपके मन में भी हैं
1. मुझे कैसे पता चले कि मेरा कौन-सा दोष असंतुलित है?
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2. क्या फास्टिंग करते वक्त चाय पी सकते हैं?
अगर चाय ज़रूरी लगे तो उसे मसालेदार और दूधवाली न बनाएं। गुनगुना जल, हर्बल चाय, या हल्का नीम जल बेहतर विकल्प हैं — खासकर वात वालों के लिए।
3. फास्टिंग खत्म करने के बाद पहला भोजन कैसा होना चाहिए?
सीधा भारी खाना न लें। हल्की मूंग की खिचड़ी, सादी दाल या देसी घी के साथ सूप सबसे बढ़िया होते हैं। शरीर को झटका नहीं, सहारा चाहिए।
4. क्या महिलाएं Intermittent Fasting कर सकती हैं?
हां, लेकिन चक्र, ऊर्जा और मानसिक अवस्था को ध्यान में रखकर। ज़्यादा दिन तक भूखा रहना कुछ महिलाओं के लिए उल्टा असर भी दे सकता है।
5. क्या यह PCOD या Thyroid जैसी स्थितियों में भी किया जा सकता है?
अगर दोष संतुलित है तो फास्टिंग फायदा देती है — लेकिन हर स्थिति में शरीर की जरूरतें अलग होती हैं। बिना समझे न करें, पहले संतुलन को पहचानें।
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🌿 समाधान देखें और संतुलन शुरू करें🔚 निष्कर्ष – उपवास समझ से करें, ट्रेंड देखकर नहीं
इंटरमिटेंट फास्टिंग कोई shortcut नहीं है।
यह शरीर को जानने, उसे समय देने और संतुलन से जीने की विद्या है।
अगर ये दोषानुसार किया जाए तो ये शरीर को भीतर से साफ करता है, वजन भी घटता है और ऊर्जा भी बढ़ती है।
लेकिन अगर सिर्फ दूसरों को देखकर, या YouTube से सीखकर कर लिया — तो वही होगा जो अक्सर होता है:
“शुरू में लगा सही जा रहा हूं, फिर कुछ समझ ही नहीं आया… और फिर छोड़ दिया।”
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📖 मेरा उद्देश्य है कि हर परिवार त्रिदोष और पंचतत्व को समझे और रोग से पहले संतुलन अपनाए।