बार-बार गैस बनना केवल खाना नहीं,
बल्कि शरीर की आंतरिक गड़बड़ी का संकेत हो सकता है।
बार-बार गैस बनना केवल खाना नहीं,
बल्कि शरीर की आंतरिक गड़बड़ी का संकेत हो सकता है।
गैस बनती है जब वात, पित्त या कफ में से कोई एक दोष बिगड़ जाए।
यह सिर्फ पेट नहीं, पूरे शरीर को प्रभावित करता है।
गैस बनती है जब वात, पित्त या कफ में से कोई एक दोष बिगड़ जाए।
यह सिर्फ पेट नहीं, पूरे शरीर को प्रभावित करता है।
अगर आप गैस के साथ सिर भारी, चक्कर, और घबराहट महसूस करते हैं –
तो समझिए वात असंतुलन है।
अगर आप गैस के साथ सिर भारी, चक्कर, और घबराहट महसूस करते हैं –
तो समझिए वात असंतुलन है।
पित्त के बिगड़ने से गैस के साथ पेट में जलन, खट्टी डकारें और चिड़चिड़ापन भी आता है।
पित्त के बिगड़ने से गैस के साथ पेट में जलन, खट्टी डकारें और चिड़चिड़ापन भी आता है।
कफ के कारण गैस के साथ शरीर भारी लगता है, नींद आती है और थकान रहती है।
कफ के कारण गैस के साथ शरीर भारी लगता है, नींद आती है और थकान रहती है।
आयुर्वेद कहता है – अगर आपकी जठराग्नि (पाचन की आग) कमजोर है,
तो भोजन सड़ता है और गैस बनती है।
आयुर्वेद कहता है – अगर आपकी जठराग्नि (पाचन की आग) कमजोर है,
तो भोजन सड़ता है और गैस बनती है।
गैस रोकना, निगल जाना या इग्नोर करना =
शरीर की चेतावनी को अनसुना करना।
गैस रोकना, निगल जाना या इग्नोर करना =
शरीर की चेतावनी को अनसुना करना।
गैस बनना एक "डेली अलार्म" है—
लीवर, पित्ताशय या बड़ी आंत आपको मदद के लिए बुला रही होती हैं।
गैस बनना एक "डेली अलार्म" है—
लीवर, पित्ताशय या बड़ी आंत आपको मदद के लिए बुला रही होती हैं।
गैस को दवा से दबाना नहीं –
उसे सुनना और समझना ही असली उपचार है।
गैस को दवा से दबाना नहीं –
उसे सुनना और समझना ही असली उपचार है।
और जानिए – आयुर्वेद में गैस के पीछे छिपी 5 अनकही बातें!
और जानिए – आयुर्वेद में गैस के पीछे छिपी 5 अनकही बातें!
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