बदलते मौसम का असर सबसे पहले शरीर पर क्यों होता है?
हर मौसम में एक जैसी बीमारी? ये सिर्फ इम्यूनिटी की बात नहीं है।
आयुर्वेद कहता है — दोष बिगड़े, तभी मौसम में शरीर हारता है।
तीन दोष – वात, पित्त, कफ हर मौसम में एक न एक बढ़ता ही है।
वात बढ़े तो – गैस, सिरदर्द, जोड़दर्द पित्त बढ़े तो – बुखार, जलन, एसिड कफ बढ़े तो – सर्दी, खांसी, भारीपन
जब मौसम बदलता है, तो शरीर भी ‘शिफ्ट’ करता है – यही समय होता है जब दोष असंतुलित हो जाता है।
इस समय अगर खानपान + दिनचर्या गड़बड़ हो जाए – बीमारी पक्की!
इलाज सिर्फ दवा नहीं – सबसे पहले जानिए अपना दोष
हर मौसम के साथ दोष बैलेंस करने वाला रूटीन ही असली कवच है।
अब आप बार-बार बीमार नहीं होंगे — अगर शरीर को मौसम से पहले तैयार करें।
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