यह सामान्य नहीं है। यह फेफड़ों की कमजोरी का संकेत हो सकता है।
धूल, धुआं, या बदलते मौसम में सांस फूलना अस्थमा का लक्षण हो सकता है।
अधिक वजन शरीर और फेफड़ों पर दबाव डालता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है।
हृदय रोग में फेफड़ों तक ऑक्सीजन सही से नहीं पहुंचती — जिससे सांस फूलती है।
अत्यधिक तनाव या पैनिक अटैक से सांस अचानक तेज़ हो सकती है।
शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी से ऑक्सीजन की आपूर्ति घटती है, जिससे थकावट और सांस की तकलीफ होती है।
पोस्ट कोविड में फेफड़े कमजोर हो जाते हैं, जिससे बार-बार सांस फूल सकती है।
जो लोग चलना-फिरना या व्यायाम नहीं करते, उनमें सांस की शिकायत आम होती है।
सिगरेट का धुआं फेफड़ों की नाजुक संरचना को खराब करता है, जिससे सांस में दिक्कत होती है।
बार-बार सांस फूलना एक संकेत है। जानिए आयुर्वेदिक हल और फेफड़ों को मजबूत करने के उपाय